उप्पल स्टेडियम की पिच बल्लेबाजों की ऐशगाह थी लेकिन मुंबई इंडियंस के कप्तान हार्दिक पांड्या की कप्तानी ने उसे सनराइजर्स हैदराबाद के लिए जन्नत में तब्दील कर दिया।
मुंबई को पांच आइपीएल ट्रॉफी जिताने वाले रोहित शर्मा को हटाकर पांड्या को इस सत्र में कप्तान घोषित किया गया पिछले दो सत्र में गुजरात टाइटंस की कप्तानी करके उसे एक बार विजेता और एक बार उपविजेता बनाने वाले हार्दिक का मुंबई में आते ही मामला गड़बड हो गया है। लक्ष्य का पीछा करते हुए जब लग रहा था कि मुंबई जीत सकती है तो उन्होंने और टिम डेविड ने 19 गेंद तक कोई भी बाउंड्री नहीं लगाई। उन्होंने खुद 20 गेंदों में एक चौके व एक छक्के के साथ 24 रन बनाए। मुंबई की तरफ से सबसे खराब स्ट्राइक रेट कप्तान साहब का ही रहा।
बुमराह को डेथ ओवर में दी गेंदबाजी’
पिछले मैच में रोहित को बाउंड्री की तरफ फील्डिंग के लिए भेजने के बाद निशाने पर आए हार्दिक ने बुधवार को खराब कप्तानी की। पावरप्ले में जब ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा गेंदबाजों की बखियां उधेड़ रहे थे तो चौथा ओवर फेंकने आए जसप्रीत बुमराह ने केवल पांच रन दिए।
इसके बावजूद हार्दिक ने रनों की रफ्तार रोकने की जगह बुमराह को डेथ ओवर के लिए बचाकर रखा। वह गेराल्ड कोएत्जे को लगातार ओवर कराते रहे जिसने अभिषेक और हेड को खुलकर खेलने का मौका दिया। युवा दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज मफाका को शुरुआती ओवर दे दिया जिसका लाभ मेजबानों को मिला।
पिछले मैच में हार्दिक ने खुद पहला और ल्यूक वुड को दूसरा ओवर दिया था। इस मैच में दूसरा ओवर खुद हार्दिक ने किया। सनराइजर्स ने सात ओवर में 100 का आंकड़ा पार किया और 10 ओवर में 148 रन बना लिए।
आइपीएल में 10 ओवरों में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकार्ड बन गया लेकिन पारी के आधे ओवर खत्म होने के बाद हार्दिक ने अपने सबसे अहम गेंदबाज बुमराह को सिर्फ एक ओवर ही कराया था। हार्दिक ने दूसरी बार गेंद बुमराह को तब पकड़ाई तब सनराइजर्स 13वां ओवर खेल रही थी। तब तक मामला विपक्षी टीम के पक्ष में चला गया था।
टीम में कुछ ठीक नहीं
पहली पारी खत्म होने के बाद हार्दिक जिस तरह हंस रहे थे और उत्साहवर्धन करते दिख रहे थे उससे उनकी बाडी लेंग्वेज पर भी सवाल उठते हैं। जब रन पड़ रहे थे तब वह खड़े होकर पीछे की तरफ गिरने का एक्शन कर रहे थे। यही नहीं मैच के बाद उन्होंने कहा कि हमारे गेंदबाज अच्छे थे।
जरूरत से ज्यादा सक्रिय दिखने की कोशिश में उनमें कप्तान होने की वह संवदेनशीलता और गंभीरता नहीं दिखती है जो रोहित, धौनी, द्रविड़ और गांगुली जैसे कप्तानों में दिखती थी। उनमें चीजों को हल्के में लेना और चुलबुलापन दिखता है।
यही कारण है कि उनसे गैर गंभीर फैसले हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि उनके लिए यह सिर्फ क्रिकेट मैच है जिसे कोई जीतेगा या हारेगा। किसी मैच को जीतने की जो जिजीविषा एक कप्तान में होनी चाहिए वह उनमें नहीं दिखती है। मैच खत्म होने के बाद भी उनके चेहरे में दुख का कोई भाव नहीं था।
रोहित से नहीं है अच्छे रिश्ते
मुंबई इंडियंस ने जिस तरह से रोहित को कप्तानी से हटाया इन दोनों के रिश्ते ठीक नहीं हैं। बुमराह, सूर्यकुमार, तिलक वर्मा सहित कुछ खिलाड़ी रोहित के खेमे में हैं जबकि इशान सहित कुछ खिलाड़ी हार्दिक के खेमे में हैं। रोहित टी-20 विश्व कप तक सभी प्रारूप में भारतीय टीम के कप्तान हैं।
इसके बावजूद हार्दिक उनके प्रति उतने गंभीर नहीं हैं। जब रोहित मुंबई से जुड़े तब भी हार्दिक उनसे कैजुअल तरीके से मिले, जिस पर शर्मा ने भी ठंडा रिस्पांस दिया था। ऐसा लगता है कि पीठ पर अंबानी परिवार का हाथ होने के कारण हार्दिक अकड़ में आ गए हैं।